Vat Purnima 2024: वट पूर्णिमा व्रत कब है, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि, पूजन सामग्री और नियम

Vat Purnima 2024

Vat Purnima 2024: वट पूर्णिमा व्रत कब है, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि, पूजन सामग्री और नियम

Vat Purnima 2024 Date: वट पूर्णिमा की महिमा का वर्णन कई हिंदू ग्रंथों में मिलता है. ज्येष्ठ अमावस्या की वट सावित्री की तरह ही वट सावित्री पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति के लिए बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करती है.

Vat Purnima 2024 Date: वट पूर्णिमा का व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति के लिए रखती है. इस दिन सावित्री और सत्यवान की पूजा की जाती है. पश्चिम भारत में यह व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है. जबकि उत्तरी भारत में वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को रखा जाता है. आइए जानते हैं वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा…

कब है वट पूर्णिमा तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 21 जून को सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर होगी, जिसकी समाप्ति 22 जून को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर हो जाएगी. ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 21 जून 2024 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. वट पूर्णिमा की पूजा के लिए तीन मुहूर्त सबसे शुभ है. इन तीन मुहूर्त में पूजा करना उत्तम रहेगा.

वट पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त Vat Purnima 2024

  • लाभ चौघड़िया का समय 7 बजकर 8 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट पर
  • अमृत चौघड़िया 8 बजकर 53 मिनट से 10 बजकर 38 मिनट तक
  • शुभ चौघड़िया 12 बजकर 23 मिनट से 2 बजकर 7 मिनट तक

वट पूर्णिमा पूजा विधि
यह वट पूर्णिमा के दिन इस बार ज्येष्ठ नक्षत्र का संयोग भी बना है. जो शास्त्रीय दृष्टि से इसका महत्व कई गुना बढ़ा रहा है. इस दिन वट वृक्ष के साथ साथ बेल के पेड़ की पूजा करना भी उत्तम फलदायी रहेगा. वट पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठ नक्षत्र होने से सरसों के दाने मिलाकर पानी में स्नान करें. साथ ही महिलाएं सोलह श्रृंगार करें. इसके बाद वट वृक्ष की पूरे विधि विधान से पूजा करें. वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए (कम से कम 5, 7, 11, 21, 51 या 108 बार) कच्चा सूत लपेटते रहें. इसके बाद जल अर्पित करके हल्दी लगाकर विधि विधान से पूजा करें. इसके बाद सावित्री और सत्यवान का कथा सुने.

वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री लिस्ट
पूजा में जल, भिगोया हुआ चना, रक्षा सूत्र, कच्चा सूत, बरगद का फल, बांस का बना पंखा, कुमकुम, सिंदूर, फल, फूल, रोली, चंदन, अक्षत्, दीपक, गंध, इत्र, धूप, सुहाग सामग्री, सवा मीटर कपड़ा, बताशा, पान, सुपारी सत्यवान, देवी सावित्री की मूर्ति, सुहाग का समान, वट सावित्री व्रत कथा और पूजा विधि की पुस्तक पूजन सामग्री में जरुर शामिल करें.

वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व Vat Purnima 2024

यह वट पूर्णिमा की महिमा का वर्णन कई हिंदू ग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, निर्णयामृत और भविष्योत्तर पुराण में किया गया है. ज्येष्ठ अमावस्या की वट सावित्री की तरह ही वट सावित्री पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति के लिए बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करने के साथ कच्चा सूत बांधती है. इसके साथ ही मां पार्वती और सावित्री की मूर्ति बनाकर विधिवत पूजा करती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने दांपत्य जीवन में आने वाली हर समस्या समाप्त हो जाती है और सुख-समृद्धि, खुशहाल वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है. वट पूर्णिमा व्रत न केवल विवाहित जोड़ों के बीच के बंधन को मजबूत करता है, बल्कि यह नारीत्व की भावना का भी सम्मान करता है. इस व्रत के प्रति आस्था ही इसे इतना पवित्र और शुभ बनाती है.

वट पूर्णिमा की शक्ति Vat Purnima 2024

वट पूर्णिमा की महिमा का वर्णन कई हिंदू धर्मग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, निर्णयामृत और भविष्योत्तर पुराण में किया गया है। यह पवित्र व्रत विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति और बच्चों की खुशहाली के लिए मनाती हैं।

यह वट पूर्णिमा व्रत न केवल विवाहित जोड़ों के बीच के बंधन को मजबूत करता है, बल्कि यह नारीत्व की भावना का भी सम्मान करता है। इस व्रत में आस्था ही इसे इतना पवित्र और शुभ बनाती है। गर्भवती महिलाएं, कामकाजी महिलाएं या किसी बीमारी से पीड़ित महिलाएं भी इस पूजा को कर सकती हैं, भले ही वे उपवास न रखें। अपनी प्रार्थनाओं को समर्पित करके, वे वही लाभ प्राप्त कर सकती हैं जो उन लोगों को मिलता है जो कर्तव्यनिष्ठा से व्रत रखते हैं।

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