राहु का प्रभाव: राहु चंद्रमा के उत्तरी नोड में एक छाया ग्रह है और वैदिक ज्योतिष में इस ग्रह का बहुत ही ज्यादा महत्व है क्योंकि ये ग्रह जातक के पूर्व जन्म के कर्मों और अधूरे रह गए लक्ष्यों को दर्शाता है।
राहु को चीज़ों के विस्तार और जुनून का कारक माना जाता है।
यह राहु उस चीज़ को पाने के लिए प्रेरित करता है,
जो जातक के पास नैतिक रूप से नहीं होनी चाहिए लेकिन फिर भी वह उसे पाने की इच्छा रखता है।
राहु एक ऐसा ग्रह है, जो वो पाने की चाहत पैदा करता है जिसे हासिल नहीं किया जा सकता हो।
इसके अलावा यह ग्रह शॉर्टकट से काम करने के लिए भी उत्साहित करता है।
जन्मकुंडली में बारह भाव होते हैं और प्रत्येक भाव में राहु का अलग प्रभाव और फल होता है।
इस लेख में आगे विस्तार से बताया गया है कि राहु का बारह भावों में क्या प्रभाव होता है।
साथ ही जानें राहु महादशा को शांत करने के ज्योतिषीय उपायों के बारे में।
वैदिक ज्योतिष में विभिन्न भावों में प्रभाव
जानिए कि कुंडली के बारह भावों में राहु का क्या प्रभाव होता है:
पहले भाव में राहु का प्रभाव
राहु के इस भाव में होने पर जातक के मन में सफलता और लोकप्रियता पाने की तीव्र इच्छा उठती है।
उसका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक हो सकता है लेकिन उसे अपनी
खुद की पहचान बनाने को लेकर संघर्ष करना पड़ सकता है।
दूसरे भाव में राहु का प्रभाव
इस भाव में राहु विराजमान हो तो व्यक्ति का भौतिक सुख और संपन्नता पाने का मन करता है।
इन्हें आर्थिक जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है
और ये शेयर मार्केट में पैसा लगाने के लिए लालायित रहते हैं।
तीसरे भाव में राहु का प्रभाव
इस भाव में अगर राहु बैठा हो, तो व्यक्ति की सफलता और पहचान पाने की तीव्र इच्छा और महत्वाकांक्षा होती है।
इनका संचार कौशल और नेटवर्किंग उत्तम होता है लेकिन इन्हें अपने भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
चौथे भाव में राहु का प्रभाव
राहु की इस स्थिति में जातक को भावनात्मक रूप से सुरक्षा और स्थिरता पाने की चाहत रहती है।
ये अपने घर के माहौल को लेकर बेचैन हो सकते हैं और पारिवारिक स्थिति को लेकर परेशान रह सकते हैं।
पांचवे भाव में राहु का प्रभाव
जब राहु पंचम भाव में होता है, तब व्यक्ति की रचनात्मक चीज़ों में रुचि बढ़ती है।
वह खुद को व्यक्त करना चाहता है और अपनी पहचान बनाने की इच्छा रखता है।
ये जातक सट्टे बाज़ार में लिप्त रहते हैं और इन्हें अपने प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
छठे भाव में राहु का प्रभाव
अगर कुंडली के छठे भाव में राहु बैठा है, तो व्यक्ति को अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में चुनौतियों और अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।
इन्हें तनाव और चिंता की वजह से स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा रहता है।
इसके साथ ही ये अपनी क्षमता से अधिक काम करते हैं।
सातवें भाव में राहु का प्रभाव
राहु की यह स्थिति पार्टनरशिप और रिश्तों की तीव्र इच्छा की ओर संकेत करती है।
इनके वैवाहिक जीवन में अचानक कोई बदलाव आ सकता है या परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।
आठवें भाव में राहु का प्रभाव
आठवें घर में राहु के होने पर व्यक्ति की जादू-टोने या गूढ़-विज्ञान में रुचि बढ़ सकती है।
इनके जीवन में अचानक से कोई बदलाव आ सकता है और इनका व्यवहार रहस्यमयी या जोखिम उठाने वाला हो सकता है।
नौवें भाव में राहु का प्रभाव
जब इस भाव में राहु बैठा हो, तो व्यक्ति की आध्यात्मिक रूप से विकास करने और ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा पैदा होती है।
ये पांरपरिक मान्यताओं पर सवाल उठा सकते हैं और उच्च ज्ञान एवं फिलॉस्फी के लिए अपरंपरागत मार्ग अपना सकते हैं।
दसवें घर में राहु का प्रभाव
राहु का दसवें घर में होना सार्वजनिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने और पहचान बनाने की तीव्र इच्छा को व्यक्त करता है।
ये जातक महत्वाकांक्षी होते हैं लेकिन इन्हें अपने करियर में चुनौतियों और विवादों का सामना करना पड़ता है।
ग्यारहवें भाव में राहु का प्रभाव
कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु के होने पर जातक महत्वाकांक्षी बनता है और वह समाज में पहचान और सफलता पाने की चाहत रखता है।
इनके अचानक से नए दोस्त बन सकते हैं और पुराने दोस्त छूट भी सकते हैं।
बारहवें भाव में राहु का प्रभाव
इस भाव में होने पर राहु जातक के मन में मुक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा पैदा करता है।
इन लोगों को कंफ्यूज़न महसूस हो सकती है और ये गुप्त गतिविधियों की ओर आकर्षित हो सकते हैं।
राहु ने इन लोगों को बनाया है सफल
राहु तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में बहुत अच्छे फल प्रदान करता है।
धीरुभाई अंबानी की कुंडली में तीसरे भाव में राहु विराजमान थे और उन्हें राहु की महादशा के दौरान देश का सबसे बड़ा उद्यमी बनने का मौका मिला था।
महात्मा गांधी की कुंडली के दसवें भाव में राहु था। इसकी वजह से ही उन्हें राष्ट्रपिता बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।
सिंगर आशा भोंसले की जन्मकुंडली में ग्यारहवें घर में राहु विराजमान है।
इसमें संजय दत्त और लता मंगेशकर का नाम भी आता है।
बाबा रामदेव और ओशो रजनीश की कुंडली में भी राहु 11वें घर में बैठे हैं जिसकी वजह से उन्हें इतनी लोकप्रियता मिल पाई है।
राहु शांति के उपाय
ज्योतिष के अनुसार अगर राहु अशुभ स्थान में हो या अशुभ प्रभाव दे रहा हो,
तो इसकी वजह से व्यक्ति को अपने जीवन के कई पहलुओं में चुनौतियों और अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि, ऐसे कुछ ज्योतिषीय उपाय मौजूद हैं, जो राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं।
आगे इन्हीं उपायों के बारे में बताया गया है।
आप अपनी कुंडली में राहु की स्थिति के आधार पर ज्योतिषीय परामर्श लेने के बाद कोई रत्न धारण कर सकते हैं।
राहु मंत्र का जाप करें या राहु शांति पूजा करवाएं। राहु को शांत करने का मंत्र है ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’।
शनिवार के दिन राहु के मंदिर में नारियल और सरसों के तेल का दान करें।
ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से राहु प्रसन्न होते हैं और उनके अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
आप शनिवार के दिन दान करें। अनाथ बच्चों की सहायता करें या गरीब एवं ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें।
राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आप राहु के बीज मंत्र का जाप करें।
आप सरस्तवी वंदना करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इन उपायों से भी राहु को शांत किया जा सकता है।
राहु की नकारात्मकता को दूर करने और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए आप गायत्री मंत्र का जाप करें।
नीले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
अपने सिर के ऊपर से सात बार नारियल को उल्टी दिशा में घुमाएं और फिर इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
स्नान के पानी में कॉफी पाउडर डालकर नहाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न. राहु कौन से भाव में शुभ फल देता है
उत्तर. तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में राहु शुभ फल प्रदान करता है।
प्रश्न. मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा राहु अच्छा है
उत्तर. दसवें, ग्यारहवें और पांचवे भाव में राहु की शुभ स्थिति होती है।
प्रश्न. राहु को क्या पसंद है
उत्तर. राहु का पसंदीदा अन्न गेहूं और वस्त्र कंबल है।
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