बुध कर्क राशि में गोचर: ग्रहों के राजकुमार बुध देव के गोचर से मालामाल हो जाएंगे ये जातक, जानें सभी राशियों पर प्रभाव

बुध कर्क राशि में गोचर

बुध कर्क राशि में गोचर: ग्रहों के राजकुमार बुध देव के गोचर से मालामाल हो जाएंगे ये जातक, जानें सभी राशियों पर प्रभाव

बुध कर्क राशि में गोचर: Mercury Transit in Cancer 2024 वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को राजकुमार का दर्जा दिया गया है। बुध ग्रह बुद्धि, व्यापार, गणित, लेखक और तर्कशास्त्र के कारक ग्रह हैं। माना जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत स्थिति में मौजूद होते हैं, उनके जीवन में उन्हें धन-दौलत, सुख-समृद्धि और मान-सम्मान की कभी कमी नहीं होती है। सभी ग्रहों की तरह बुध भी एक निश्चित समय के बाद एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं और इनके गोचर का प्रभाव सभी राशि के जातकों पर पड़ता है।

बता दें कि बुध जल्द ही वक्री अवस्था में अगस्त माह में कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं। इस ख़ास लेख के माध्यम से जानेंगे अगस्त माह में कर्क राशि में वक्री बुध के गोचर की ये ज्योतिषीय घटना सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगी, ज्योतिष में बुध के गोचर का क्या महत्व होता है, साथ ही जानेंगे बुध के गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के कुछ बेहद सरल और ज्योतिषीय उपायों की जानकारी। लेकिन, इससे पहले जान लेते हैं वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर करने की समयावधि।

बुध कर्क राशि में गोचर: समय व तिथि

ज्योतिष में बुद्धि और सीखने की क्षमता के कारक ग्रह बुध वक्री अवस्था में 22 अगस्त 2024 की सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे। तो आइए जानते हैं वक्री बुध का क्या अर्थ है।

ग्रहों के वक्री होने का अर्थ

वक्री ग्रह से आशय जब कोई भी ग्रह अपनी सामान्य दिशा की बजाए उल्टी दिशा यानी विपरीत दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है तो उसे ग्रहों का वक्री होना कहा जाता है। वास्तव में ग्रह कभी पीछे या उल्टे नहीं चलते, बल्कि उनकी गति के कारण ऐसा केवल आभास होता है। हालांकि, सूर्य और चंद्रमा कभी भी वक्री नहीं होते हैं। वहीं राहु-केतु सदैव वक्री चाल चलते हैं।

बुध कर्क राशि में गोचर का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के वक्री होने से उनके परिणामों में बदलाव देखने को मिलता है। वक्री ग्रह के प्रभाव को लेकर ज्योतिष विद्वानों के अपने अलग-अलग मत सामने आए हैं। कुछ का मानना है कि वक्री ग्रह अपनी उल्टी चाल के कारण उच्च राशि में नीच का फल देते हैं तो नीच राशि में उच्च का फल देते हैं। जबकि एक अन्य मत यह भी है कि वक्री चाल में ग्रह सदैव नकारात्मक परिणाम देते हैं। वहीं गोचर में ग्रह उच्च राशि में सकारात्मक और नीच राशि में अशुभ परिणाम देते हैं।

बुध ग्रह का ज्योतिष में महत्व

बुध ग्रह सौरमंडल में सबसे छोटा ग्रह है, जो सूर्य के सबसे निकट है। बुध ग्रह को बुद्धि का देवता कहा जाता है और यह दिस्वाभावक ग्रह है। काल पुरुष कुंडली में बुध को मिथुन व कन्या राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह कन्या राशि में उच्च के व मीन राशि में नीच के होते है। यह 15 अंशों पर परम उच्च और नीच के होते हैं। बुध उत्तर दिशा के स्वामी हैं और सूर्य व शुक्र इनके मित्र हैं लेकिन मंगल और चंद्रमा से शत्रुता का भाव रखते हैं। बृहस्पति और शनि इसके सम ग्रह है। बुध महादशा 17 वर्ष की होती है। 

यह बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति हंसना,बोलना व मजाक करना पसंद करता है और साथ ही, अच्छा बिजनेसमैन बनता है। बुध ग्रह अपने गुणों के साथ-साथ जिस ग्रह के साथ बैठते हैं उसके भी फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से बुध को आश्लेषा,ज्येष्ठा,रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। जिन लोगों का बुध मजबूत होता है, वे संवाद और संचार के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। बुध से प्रभावित जातक हास्य विनोद प्रिय होते हैं। ऐसे लोग बुद्धिमान,कूटनीतिज्ञ और राजनीति कुशल होते है। 

कुंडली के अलग-अलग भावों में बुध ग्रह का प्रभाव

पहले भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

कुंडली के पहले भाव बुध की स्थिति को बहुत अधिक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति समाज में उच्च पद-प्रतिष्ठा व मान-सम्मान प्राप्त करता है और इन जातकों की बातों को हर कोई बड़े गौर से सुनता है। यदि सूर्य के साथ बुध विराजमान हों, तो बुधादित्य योग का निर्माण होता है जो व्यक्ति को जीवन में अपार सफलता दिलाता है।

दूसरे भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

दूसरे भाव में बुध जातक को बुद्धिमान, कुशल वक्ता तथा अपनी योजनाओं को फलीभूत करवाने वाला बनता है। ऐसे जातक को खोया हुआ धन प्राप्त होता है। उसके जीवन में आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बने रहते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास करने वाला, दूसरों की मदद करने वाला और बहुत अधिक दयालु स्वभाव का होता है।

तीसरे भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

जन्म कुंडली के तीसरे भाव में बुध के विराजमान रहने जातक परिवार व मित्रों का सहयोग व प्यार प्राप्त करता है। उसके द्वारा लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना होती है। ऐसे लोग कई बार रूढ़िवादिता का भी शिकार हो जाते हैं। इन जातकों की धर्म एवं अध्यात्म के प्रति गहरी आस्था रहती है। ये घूमने फिरने तथा विदेश प्रवास में अच्छी रुचि रखते हैं। 

चौथे भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान रहने पर बुध व्यक्ति को स्वाभिमानी, कुशल वक्ता, सफल उद्यमी तथा परिश्रमी बनाते हैं। जातक अपने ही बाहुबल पर मकान-वाहन का सुख प्राप्त करता है। मित्रों की संख्या कम रहती है। पाप ग्रहों के साथ रहने पर ये व्यक्ति को वासनाओं की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं। ये जातक टीचिंग, लेखन तथा प्रशासनिक कार्यों में अच्छी सफलता अर्जित करते हैं। साथ ही, नेतृत्व करने की क्षमता इनमें बेहतर होती है।

पांचवें भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान बुध किसी भी जातक के लिए वरदान से कम नहीं है। यदि बुध अपने भाव में मौजूद हों तो ऐसा जातक गायक, संगीतज्ञ, तथा ललित कलाओं का प्रेमी होता है। साधारण से परिवार में जन्म लेने पर भी ऐसे लोग अपनी कुशल बुद्धिमत्ता के बल पर समाज में अच्छी मान प्रतिष्ठा हासिल करते हैं। दूसरों से प्रेम करने वाले, शिक्षा देने वाले और समाज में एक अलग तरह का उदाहरण पेश करने वाले ऐसे लोग कामयाब जीवन व्यतीत करते हैं।

छठे भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

जन्मकुंडली में बुध छठे भाव में विराजमान हों तो ऐसे में, जातक को मिले-जुले परिणाम प्राप्त होते हैं। गुप्त शत्रुओं की अधिकता रहती है और इनके शत्रु इन पर हावी भी हो सकते हैं। इस वजह से इन्हें जीवन में आगे बढ़ने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यहीं नहीं जीवन कोर्ट-कचहरी के मामलों से भी दो-चार होना पड़ता है। कई बार देखा गया है कि ऐसे लोगों के करियर में काफी उतार-चढ़ाव रहता है। 

सातवें भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान बुध अति शुभ फल देते हैं। जातक व्यापार के क्षेत्र में अच्छी सफलता हासिल करते हैं। दांपत्य जीवन सुखद रहता है किंतु शनि के साथ ही यदि यहां विराजमान हों तो उनके फल अच्छे नहीं रहते। बुध अपनी राशि के हों तो ऐसे लोगों को ससुराल पक्ष से सहयोग मिलता है और धन का आगमन होता रहता है। ऐसा जातक दीर्घजीवी, प्रसिद्ध, यशस्वी और कुशल प्रशासनिक अधिकारी होता है। हालांकि, कई बार अहंकार की भावना के चलते इन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

आठवें भाव में प्रभाव

आठवें भाव में विराजमान बुध का फल काफी मिला-जुला रहता है। ऐसे लोगों को कहीं न कहीं स्वास्थ्य संबंधी समस्या जैसे चर्मरोग, एलर्जी, हड्डी और पेट से संबंधित समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। अपने भाव विराजमान बुध जातक को उत्तम स्वास्थ्य और सामाजिक पद-प्रतिष्ठा भी दिलाते हैं, मकान वाहन का सुख तो मिलता ही है। साथ ही, सभी भौतिक उपलब्धियों का भी सुख प्राप्त होता है।

नौवें भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

किसी भी जातक की जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध का फल बेहतरीन सफलता देते हैं। ऐसा व्यक्ति धर्म-कर्म में रुचि वाला धार्मिक ग्रंथों का संपादन करने वाला, प्रकाशक और कुशल वक्ता होता है। कई बार सामाजिक जिम्मेदारियों का दबाव उन पर सीधा दिखाई देता है। बुध अपने भाव में विराजमान हों तो फल दोगुना हो जाता है। ऐसा जातक जीवन में अच्छी ख्याति अर्जित करता है। देश विदेश में घूमने का भी इनको मौका मिलता है

दसवें भाव में प्रभाव

जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान बुध जातक को अति मिलनसार, न्यायिक प्रक्रिया का पालन करने वाला, कुशल प्रशासक और समाजसेवी बनाते हैं। सामान्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचता है। ये जातक सभी तरह के निर्णय लेने में कुशल और निर्भीक प्रकृति का ऐसा जातक सफल जीवन व्यतीत करता है।

ग्यारहवें भाव में प्रभाव (बुध कर्क राशि में गोचर)

ग्यारहवें इस भाव में विराजमान बुध जातक को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाता है। व्यक्ति नौकरी करें या व्यापार सफलताओं के शिखर तक पहुंचता है। इसके अलावा, ये जातक कुशल गणितज्ञ, ज्योतिषी, न्यायिक प्रक्रिया में रुचि रखने वाले, लेखन तथा प्रकाशन के क्षेत्र में अच्छी ख्याति अर्जित करते हैं। इन्हें चाहने वालों की संख्या बहुत अधिक होती है। ये संगीत प्रेमी होती है।

बारहवें भाव में प्रभाव

बारहवें भाव में विराजमान बुध का प्रतिकूल परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसे व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। ये लोग यात्रा करना पसंद करते हैं और धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर रुचि लेते हैं। ऐसे लोग खूब सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। बुध अपने भाव में विराजमान हों तो ऐसा व्यक्ति विदेशी कंपनियों में बड़े पदों पर नौकरी करता है।

बुध ग्रह को मजबूत करने के आसान उपाय

बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए कुछ आसान उपाय बताएं जा रहे हैं,जो इस प्रकार है।

बुधवार का व्रत करें

बुध ग्रह को मजबूत बनाने के लिए 21 बुधवार का व्रत करें। यदि आप बुधवार का पहली बार व्रत करना शुरू कर रहे हैं तो ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से शुरू करें। आप 21 या 45 बुधवार तक व्रत कर सकते हैं। व्रत के दिन साधक को हरे रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। साथ ही बुध के बीज मंत्र (ॐ बुं बुधाय नमः) का जाप करना चाहिए।

बुधवार को दान-पुण्य करें

बुध ग्रह को शांत करने के लिए व्रत करने के साथ-साथ दान-पुण्य भी करना चाहिए। ऐसा करना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। इस दिन आप हरा वस्त्र, कांस्य, घृत, पुष्प, कपूर, मिस्री, हाथी दांत, सुवर्ण, पन्ना, दक्षिणा आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से बुध के प्रभाव को कम किया जा सकता है और बुध के प्रभाव से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।

गाय को हरा चारा खिलाएं

कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत बनाने के लिए बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं। इसके साथ ही, आप गरीब व जरूरतमंदों को हरी चीजों का दान भी कर सकते हैं। ऐसा करने से बुध की स्थिति मजबूत होगी और आपके सभी समस्याओं का निवारण होगा।

हरे पौधे लगाएं

कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत बनाने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाएं। यदि संभव हो तो पेड़-पौधों का दान भी कर सकते हैं। इसके साथ ही, बुधवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर पांच तरह के हरे पत्तों का तोरण बनाकर लगाएं इससे घर में सकारात्मकता आती है।

तुलसी का पौधा लगाएं

यदि आप बुध देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन तुलसी का पौधा घर में जरूर लगाएं और इस पौधे की नियमित पूजा करें और इस पर जल चढ़ाएं।

बुधवार के दिन कौड़ी का उपाय

बुध ग्रह से जुड़े दोष को दूर करने के लिए बुधवार के दिन 5 कौड़ियों को बहते हुए जल में प्रवाहित करें और बुध की मजबूती की कामना करें। इस उपाय से आपके सभी दोष दूर हो सकते हैं और कुंडली में बुध की स्थिति ठीक की जा सकती है।

गणपति का करें पूजन

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। ऐसे में, इस दिन गणपति का विशेष रूप से पूजा करें और उन्हें दूर्वा अर्पित करें। इस उपाय से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होगी और आपके घर सुख-समृद्धि का वास होगा।

बुध कर्क राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर में चौथे भाव में होगा। इस गोचर के परिणामस्वरूप….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर में तीसरे भाव में वक्री है। उपरोक्त के कारण….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चौथे भाव के स्वामी हैं तथा वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर आपके दूसरे भाव में होगा। इसके कारण….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर में आपके पहले भाव में होगा। इसके फलस्वरूप….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर में बारहवें भाव में होगा। उपरोक्त कारणों से….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दसवें भाव के स्वामी हैं तथा वक्री बुध का कर्क राशि मे गोचर में आपके ग्यारहवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप कोई….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए बुध नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर आपके दसवें भाव में होगा।करियर के मोर्चे पर….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर आपके नौवें भाव में होगा। उपरोक्त के कारण….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए बुध सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर में आठवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए बुध आपके छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर आपके सातवें भाव में होगा। उपरोक्त के कारण….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं और वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर आपके छठे भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए बुध चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं। वक्री बुध का कर्क राशि में गोचर आपके पांचवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप….(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. बुध का कर्क राशि में गोचर कब होने जा रहा है?

उत्तर. ज्योतिष में बुद्धि और सीखने की क्षमता के कारक ग्रह बुध वक्री अवस्था में 22 अगस्त। 2024 की सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे 

प्रश्न 2. ग्रह की वक्री अवस्था क्या होती है?

उत्तर. वक्री ग्रह से आशय जब कोई भी ग्रह अपनी सामान्य दिशा की बजाए उल्टी दिशा यानी विपरीत दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है तो उसे ग्रहों का वक्री होना कहा जाता है।

प्रश्न 3. बुध कौन सी राशि में उच्च का होता है?

उत्तर. बुध मिथुन एवं कन्या राशियों के स्वामी हैं तथा कन्या राशि में उच्च भाव में स्थित रहते हैं तथा मीन राशि में नीच भाव में रहते हैं।

प्रश्न 4. बुध का गोचर कितने दिन का होता है?

उत्तर. बुध ग्रह जल्द ही गोचर करने वाले हैं. बुध का गोचर 15-20 दिन में होता है।

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